Thursday, April 3, 2014

कभी -कभी मन बस कहने का होता है पर सुनने वाले नहीं होते या फिर बस ऐसे ही किसी को सुनाया नहीं जा सकता या सुनाने का मन नही  होता  ,ऐसे मे लिख देना कितना आसान होता है । आज मन कुछ ऐसा ही है ,नही ,कोई दुःख नही है बस जीवन की एकरसता से मन ऊब रहा है । लेकिन ये शिकायत बस मेरी नही मेरे अनगिनत दोस्तों की है। सुख भी है आराम भी है पर उसमे भी तो एकरसता ही है ।

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